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140 अक्षरों की दुनिया: माइक्रोब्लॉगिंग

ब्लॉगिंग के बाद इंटरनेट पर एक और विधा ने जोर पकड़ा है। जी हाँ ट्विटर, पाउंस और प्लर्क के दीवाने अपने बलॉग छोड़ दीवाने हो चले हैं माईक्रोब्लॉगिंग के। पैट्रिक्स और देबाशीष कर रहे हैं इस लोकप्रिय तकनीक की संक्षिप्त पड़ताल जिसमें लोग फकत 140 अक्षरों में कभी अपने मोबाईल, कभी डेस्कटॉप तो कभी जालस्थल द्वारा अपना हालेदिल लिखे चले जाते हैं।

IDN करेंगे हिन्दी का नाम रोशन

जब जालपृष्ठ हिन्दी में है तो भला डोमेन नाम हिन्दी में क्यों नहीं? अन्तरराष्ट्रीय डोमेन नाम (IDN) द्वारा ग़ैर-अंग्रेज़ी भाषी इंटरनेट प्रयोक्ताओं को इसका हल तो मिला ही है, भविष्य में संपूर्ण डोमेन नाम अपनी भाषा में लिख सकने के मार्ग भी प्रशस्त हो रहे हैं। पढ़िये आइडीएन के बारे में विस्तृत जानकारी देता वरुण अग्रवाल का लिखा, रमण कौल द्वारा अनूदित लेख।

मनोचिकित्सा से फ़िल्म निर्देशन तक

डॉ परवेज़ इमाम ने चिकित्सा विज्ञान की पढ़ाई पूरी कर मनोचिकित्सक का पेशा अपनाया पर अस्पताल की बजाय उनकी कर्मभूमि बनी वृतचित्र यानि डाक्यूमेंट्री फ़िल्मों की दुनिया। टीवी कार्यक्रम टर्निंग प्वाईंट से शुरुवात कर उन्होंने अब तक अनेकों पुरस्कृत वृत्तचित्रों का निर्माण किया है। संवाद में पढ़ें परवेज़ के जीवन और अनुभव पर डॉ सुनील दीपक से हुई उनकी बातचीत।

व्यतीत

संस्कृतियों, लिबासों और भाषाओं के कॉकटेल कलकत्ता में नीता के सामने श्यामल है, उसका वर्तमान। श्यामल पहली बार आया है यहाँ, पर नीता का व्यतीत अतीत उसे साल रहा है। वह कलकत्ता को भूल जाना चाहती है। वातायन में पढ़िये 1963 में मनोरमा पत्रिका में प्रकाशित वीणा सिन्हा की स्त्री के अंतर्दंद्व पर लिखी कहानी जो आज भी सामयिक लगती है।

अमृता इमरोज़: रूहानी रिश्तों की बयानी

उमा त्रिलोक ने अपनी किताब में इमरोज़ और अमृता की रूहानी मोहब्बत के जज़्बे को तो खूबसूरती से अभिव्यक्त किया ही है, साथ ही अमृता प्रीतम के जीवन के आखिरी लम्हों को भी अपनी कलम से बख़ूबी बटोरा है। पढ़िये पुस्तक अमृता इमरोज़ की रविशंकर श्रीवास्तव व रंजना भाटिया द्वारा समीक्षायें।

Latest Posts

मिक्स मसाला

मिक्स मसाला में चिट्ठा जगत के छाया कौशल से आँखें चार कीजिए "आँखन देखी" स्तंभ में जहाँ बिखरेंगी नौसिखिये छायाकारों के चित्रों की चटकदार छटा। इस अंक में रसस्वादन करें जितेन्द्र चौधरी और अतुल अरोरा के कैमरों के कमाल का। "आबो हवा" में खबर लीजीये भारतीय भाषाओं के ब्लॉगजगत के बैरोमीटर की और सुनिये ब्लॉगिंग के क्षेत्र में भारतीय भाषाओं के बढ़ते कदमों कि आहट।

अच्छा अंतर्जाल कहां चला गया?

हुसैन द्वारा संकलित अंर्तजाल के कोने कोने से चुनी बेहद रोचक कड़ियाँ, कुछ खट्टी कुछ मीठी।

चिट्ठा चर्चा

चिट्ठा चर्चा में पढ़िये दो प्रस्तुतियाँ। "चिट्ठा जोरदार" में कुछ उल्लेखनीय प्रविष्टियों की चर्चा और "उसने कहा" में विभिन्न चिट्ठों से चुने कुछ मनभावन कथ्य और उल्लेखनीय उक्तियाँ जो आप भी अपनी डायरी में सहेज कर रखना चाहेंगे।

मार्च 2005 का कच्चा चिट्ठा

कच्चा चिट्ठा स्तंभ में हर माह परिचय कीजिये नये चिट्ठाकारों से। इस अंक में आपकी भेंट करवा रहे हैं ई-लेखा के लेखक चिट्ठाकार आशीष तिवारी और प्रतिभास के लेखक और लिंकमास्टर अनुनाद सिंह से।

मैं ऐसा क्यों हूँ?

एक चित्र जिस पर आप अपनी कल्पनाशीलता परख सकते हैं और जीत सकते हैं रेबेका ब्लड की पुस्तक "द वेबलॉग हैन्डबुक" की एक प्रति। भाग लीजिये समस्या पूर्ति प्रतियोगिता में।