वातायन
नज़रिया
पूछिये फ़ुरसतिया से
बमों को हमारे शून्य से गुणा कर दो
पाकिस्तान न हों तो सैकडों वीररस के कवियों की दुकान बंद हो जाये। टेड़े सवालों के मेड़े जवाबों के साथ फिर हाज़िर हैं आपके फुरसतिया, अनूप शुक्ला। पढ़िये और आप भी पूछिये फुरसतिया से।
नारियल का मिर्ची के साथ गठबंधन
बंगलौर में नारियल की चटनी में इतनी मिर्ची क्यों डालते हैं? तोगडिया जी हमेशा गुस्से मे क्यों रहते है? आग लगने पर ही पानी भरने की याद क्यों आती है? जब ये सवाल पूछे गये हैं फुरसतिया से तो भई जवाब भी मजेदार ही होंगे, फुरसतिया स्टाईल.
परिपक्व हो जायेंगे तब भोली भाली बातें करेंगे
आजकल के बच्चों मे बचपना क्यों नज़र नही आता? हिंदुस्तानी फिल्मों में इतने गाने क्यों होते हैं? नेताओं के स्वागत पोस्टर में नाम के आगे “मा.” क्यों लिखा रहता है? भूख क्यों लगती है? सारे जवाब यहाँ दिये जायेंगे, फुरसत से। ससूरा गूगलवा भला अब किस काम का, पूछिये फुरसतिया से!
आस्था की तुष्टि से संतोष मिलता है
रात के बाद सबेरा होता है या सबेरे के पहले रात? आजकल हसीनों में शर्मोहया क्यों नहीं है? पूजा के समय भगवान को प्रसाद व भोग चढ़ाया जाता है, यह जानते हुये भी कि अंतत: खाना इन्सान को ही है। आखिर क्यों? ऐसे ही टेड़े सवालों के मेड़े जवाब दे रहे हैं हाजिर जवाब फुरसतिया!
सुपरमैन और अंडरवियर
अगर आपकी पूर्व प्रेमिका अपने बच्चों को आपसे उनके मामा तौर पर मिलवाये तो आप क्या करेंगे? अगर सुपरमैन इतना बुद्धिमान है तो फिर अंडरवियर अपनी पैंट के ऊपर क्यों पहनता है? कहते हैं कि पैदल चलने और जॉगिंग करने से वजन कम होता है। तो क्या उल्टे पैर चलने से वजन बढ़ सकता है? ऐसे ही टेड़े सवालों के मेड़े जवाब दे रहे हैं हाजिर जवाब फुरसतिया!
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वेबलॉग नीतिशास्त्र
सारांश में पेश करते हैं पुस्तकाँश या पुस्तक समीक्षा। निरंतर के पहले अंक में हमें प्रसन्नता है रेबेका ब्लड की पुस्तक "द वेबलॉग हैन्डबुक" के अंश का हिन्दी रूपांतर प्रस्तुत करते हुए। रेबेका 1996 से अंर्तजाल पर हैं, उनका ब्लॉग रेबेकाज़ पॉकेट खासा प्रसिद्ध है।
बलॉगिंग विथ परपस
जिह्वा ने जब अपना प्रसिद्ध चिट्ठा बंद किया तो उनकी उकताहट छुपती न थी। क्या चिट्ठाकार मूलतः अपने मेट्रिक्स में कैद आत्ममुग्ध अंर्तमुखी लेखक ही हैं बस? क्या वे समाज के सत्य से रूबरू ही नहीं होना चाहते? नज़रिया स्तंभ में पढ़िये संपादक की कलम से निरंतर का परिचय और चिट्ठा जगत पर नुक्ता चीनी के साथ पाईए परिचय आमुख कथा का।
कम्पयूटर स्त्रीलिंग है या पुर्लिंग?
घर, दफ्तर, सड़क हर जगह मुसीबतें आतीं हैं, सेंकड़ों सवाल उठ खड़े हो जाते हैं। अब सर खुजलाते खुजलाते हमारे रडार पर एक महारथी की काया दिखी तो उम्मीद कि किरणें जाग उठीं। प्रश्न चाहे किसी भी विषय पर हों, साहित्यिक हों या हों जीवन के फलसफे पर, सरल हो या क्लिष्ट, नॉटी हो या शिष्ट, विषय बादी हों या मवादी, कौमार्य हो या शादी, पूछे जायेंगे बेझिझक फुरसतिया से!
आस्कजीव्स ने निगला ब्लॉगलाईंस को
क्या याहू सिक्स आपार्ट को हथिया लेगा? क्या गूगल अब डोमेन भी बेचेगा? ये और ढेर सारी और खबरें। पढ़िए माह के दौरान घटित ब्लॉगजगत से संबंधित खबरें तड़के के साथ।
आज रात तीन चाँद खिले हैं!
वातायन है निरंतर का साहित्य प्रकोष्ठ यानि कि ब्लॉगजगत के बाशिंदो कि साहित्यिक प्रतिभा का झरोखा। इस अंक में प्रस्तुत है रविशंकर श्रीवास्तव की लघुकथा "प्रशिक्षु", अतुल अरोरा की हास्य कविता "तीन चाँद" और देबाशीष चक्रवर्ती की कविता "महानगर"।